सोचती थी की,
तुझे भूलाके माझी बना दिया
तेरे खयालोंसे खुद को आझाद कर लिया
तेरी छुअन, तेरी सॉंसो की गरमाहट को भूला दिया
तू हैं नहीं, तू नहीं है..इसे कबूल कर लिया
वक्त की पनाह में,
खुद को बिखरने से रोख लिया
सोचती तो बहुत कुछ थी..
पर कल जब तेरा जिक्र हुआ...
सीने में आग, बदन ठिठुरता रहा..
यार, अब ये ना कहना की,
तू अब भी मेरे दिलसे लिपटा है..
मैं टुट जाऊँगी... दुबारा सँभाल न पाऊँगी!
मेरी हकीकत का तू बस माझी ही रहना....
मुझे टूटने से इस बार
तू हि संभाल लेना, मेरे माझी!
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