गुरुवार, ३१ मे, २०१८

पीडा




उस रोज उसने मुझे नाराजगीसे पुछा,
मैं तुम्हारी पीडा को समझना चाहता हु 
परतुम हसती बहुत हो,
इस दुख और संघर्ष के जीवनमें
तुम इतना हसती कहॉसे हो..
मैंने फिर मुस्कुराकर कहॉं
जब दुख और संघर्ष है ही जीवनमें
तो जिसे पाने की चाह हैउसे
हरदमहरपल महसूस क्यो ना करे 
बस वहि एहसासात मुझे गुदगुदी करते रहते
और मैं हसती..हसती बहुत हूँ...!

पीडा का क्या हैवो तो हर किसीमें बसी है..
पर उसे समझना हर किसी के बसमें नहीं..
छोडोमैं मुस्कुराती, हसती रहूँगी...
तुम...तुम खोजते रहना..



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