"साला ये लडकिया भी ना बहुत कमिनी होती है..दोस्ती मे भी उनके नखरे उठाने पडते है.."
"अच्छा, तू कितानोंके उठाता हैं. "
"यही कही चार पांच तो होगीही. हां अब ऐसे मत देख. मारोगी क्या? करना पडता है. तू ना समझेगी."
"सो तो है..मैं नहीं समझुंगी. अच्छा चल ये बता उनमेसे तेरे नखरे कितने उठाते हैं.."
"वही तो साला प्राबलम हय..उनमे से एक भी नहीं उठाती. हां लेकीन कोई हैं जो उठाती भी है नखरे और करती भी नहीं.. " वो उसे निहारते कहने लगा.
"समझा साले लडके भी कमीने होते हैं.."
"अरे पर तू तो कह रही थी की ये तो बस वो दोस्ती से कुछ और हो तो उसके चक्कर मे..."
वो पिछेसे उसकी बात को याद करके दोहराता रहा..वो लेडीज डब्बे मे चढ गयी..!
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