गुरुवार, १२ जुलै, २०१८

नतीजा

एम. ए. का पहला वर्ष खतम होने आया था. एक्झाम कुछ ही दिनोंमे शुरु होनेवाले थे. महिनाभर पहले बिते स्टडी टूर के आठ दिनोंका नशा अबतक सभी पाठकोंं पर था. इस स्टडी टूरने सबको जैसे करीब लाया था. जिनके बीच मनमुटाव था, तकरार थी, शिकायते थी...उनके भी बीच आपसी दोस्ती बन गयी थी. उसके लिए तो वह स्टडी टूर जैसे उसके इर्दगिर्द घुमने का लायसन्स बन गया था. पुरा वक्त सभी लडके-लडकी साथ घुम रहे थे..बिना किसी छानबिनवाली निगाहोंके. रात क्या, दिन क्या..क्लास की दस लडकीयॉं और पंधरा लडके एकही साथ थे.
साल के पहले दिन ही उसे वो भा गयी थी. डिपार्टमेंट की दुसरी गोरीचिट्टी लडकीयों जैसी खुबसूरत नहीं थी. उससे मुतासिर होनेवाली तो कोई खास बात उसके पास नहीं थी. पर उसमे कुछ था, जो उसे उसकी ओर खिंचता था. यह हाल उसके अकेले का ना था.. उस साधारण से दिखनेवाली लडकी के लिए बिलकुल बराबर की कशीश उसे अपने ही दोस्त में नजर आती थी. सच कहे तो दोस्त की कशीश ही उसे उसकी ओर बढने के लिए उकसाती रहती थी..रंगरूप की बात होती तो वो झटसे ऐसे प्रभावोंसे निपट लेता. पर यहां रंग रुप का चक्कर नहीं था मतलब कुछ और बात है जो उसके लिए इतनी बेकरारी पैदा करती थी. यह सोचकर उसे खुद ही एक राहत मिल रही थी. इस तरह अपने दिल को टटोलते टटोलते वो कब उसपर पुरा का पुरा लुब्ध हुवा उसे समझ ही नहीं आया. स्टडी टूर से वापसीवाले दिन उसने हिम्मत जुटाके उसे सीधे सामनेसे खत दे दिया.
बिना कुछ कहें. उसने वो ले लिया. रूमपर आकर उसने उस खत की हर एक लब्ज को बडी दिलचस्पीसे पढा.
दुसरे दिन डिपार्टमेंट की बाहर वह उसकी राह देखही रहा था. उसने जबाव दिया, ‘अपनी पढाई पर ध्यान देते है.’ इतना कहकर वह चली गयी. उस रोज के बाद उसने भी उससे कुछ ना कहा, ना पुछा, ना बात की.
बस दोनो अपनी अपनी पढाईमें जुट गये. उसने अपनी पढाईपर ध्यान दिया और इसने अपनी पढाई पर लक्ष केंद्रीत किया.
नतीजा जब आया तो दोनो ही अपनी अपनी परिक्षाओंमें अव्वल आये थे.

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा

सुफियान अन त्याचे मित्र

गोष्ट तशी गंमतीची.   माझ्या घरासमोर राहाणारी दोन छोटी मुल माझ्या तीन वर्षाच्या सुफियानचे मित्र आहेत. त्यातील छोटा हा सुफियानपेक्षा फक्त ...