शनिवार, २१ जुलै, २०१८

प्रपोजल

''....वैसे तुम उस दिन क्या कहना चाहती थी...हम एक दुसरे को बतौर लाईफ पार्टनर की तरह टेस्ट करे.  क्या हम एक दुसरे के लिए कम्पॅटिबल है की नहीं, ये हम जॉंचेगें, तराशेंगे. मतलब क्या करेंगे?''
''आय डोन्ट नो एक्झॅक्टली. मेरे पास उसका ब्लू प्रिंट थोडी है. कमॉन, कुछ भी. वो तो उसवक्त मेरे दिमाग में आया तो मैंने कह दिया था. मेरा कहने का मतलब था की, हम एकदुसरे के साथ वक्त बितायेंगे, किसी भी नॉर्मल फ्रेंडस की तरह मगर बॅक ऑफ माईंड हमें पता होगा की हम एक दुसरे के साथ जिंदगी बिताना चाहते है क्या? इसको भी टटोल रहे है..''
''और तुम ये करना क्यों चाहती हो?''
''मेरे अब्बा को ना मेरी शादी की बडी फिकर हो रही है. और मैं शादी उसीसे करना चाहती जिसका साथ अच्छा लगे. वैसे तुम मुझे ठीक ठाक लगते हो. पर हमारी इतनी बातचीत कहॉं होती है. और सिर्फ ठीक ठाक लगनेसे क्या होता है. अच्छा लगना चाहिए ना..तो अब मैं अकेली ही यह टटोलती रहूँ इससे बेहतर है की हम एक ही वक्त दोनों भी इस बात को टटोलकर देखे. इसलिए पुछा..''
''बिलकुल बकवास है यह. कोई इस कदर तय करके प्यार नहीं कर सकता.''
''प्यार करने कौन कह रहा है? प्यार की तो कोई बात ही नहीं मैं तो शादी की बात कर रहीं हूँ.''
''और तुम्हे लगता है की बिना प्यार किये शादी हो सकती है...''
''अब अरेंजे मॅरेज क्या होते है? पहले थोडी ना पता होता है...बस उसी तरह हमारा भी अरेंज ही पर थोडा ज्यादा सोच समझकर किया मॅरेज होगा. आयमिन दोनों को ठीक लगे तो पर इसके लिए हम कुछ वक्त साथ गुजारेंगे.
मेरे तो सरके उपरसे जा रही है तुम्हारी बाते. माना की अरेंज मॅरेज में पहले नहीं होता होगा पर बाद मे तो प्यार हो ही जाता है..प्यार के बिना शादी अधूरी है.''
''हां प्यार जरूरी होता होगा पर मेरे लिए उसका साथ भी. एकदुसरे के साथ कंम्फर्टेबल लगना जरूरी है. एकदुसरे के साथ अच्छा लगना जरूरी है. ये अच्छा लगनेवाली फिलींग तो तब ही आती जब आपको सामनेवाला इन्सान पसंद आये. जब पसंद आयेगा तो प्यार भी लगेगा. पर मुझे प्रायोरिटीमे किसीका साथ अच्छा लगना चाहिए. अब गड्डे में गिरना ही है तो सोच समझकर गिरे ना..कमसेकम वहॉं बोअर ना हो इसकी फिकर तो हमेंही करनी है.''
''जिससे प्यार होगा उसका साथ तो अच्छा लगेगाही.''
''हां लेकिन जिससे प्यार हो जाये उसका साथ हमेशा ही अच्छा लगेगा ये जरूरी नहीं. कभी कभी प्यारवाला साथ ना एक्स्पायरी डेट के साथ आता है. जैसे शादी हुई आप एकदुसरेसे इरीटेट होना शुरू कर देते. अब मेरे ही कुछ फ्रेंडस देखो जो पहले एकदुसरे के प्यार में खोये रहते थे आज शादी के बाद दोनो एकदुसरे के साथ उब गये है. उन्हे एकदुसरे की दखलबाजी बिलकुल बर्दाश्त नहीं होती. एकदुसरे को वो अगर कुछ राय दे तो उन्हे वो राय नहीं इंटरफेयर लगता है...बस मुझे तो पहले साथ होना अच्छा लगना चाहिए. उसमें खूशी मिलनी चाहिए. हम साथ ढंग से बात कर सके, एकदुसरे की का रिस्पेक्ट कर सके तो ठीक है वरना लोग प्यार तो करते पर रिस्पेक्ट करना नहीं जानते. ''
''तुम्हारी फिलॉसॉपी कुछ ज्यादाही अजीब है. इसके लिए अलगसे दोस्त दोस्त खेलने की जरूरत नहीं. मुझे तुम्हारे इस प्रपोजलमें रत्तीभर इंटरेस्ट नहीं है..''
''अच्छा, ठीक है तो फिर...चलो बाय. मुलाकात की वैसे कोई गुंजाईश नहीं जिसके बदौलत मैं तुम्हे कहू की फिर मिलेंगे. ''
''अच्छा सुनो, क्या तुम इस तरह हर किसीको अपना प्रपोजल बताती रहोगी?''
''आय डोन्ट नो. सोचा नहीं. क्या पता जबतक कोई ना मिले मैं हर किसी को ऐसा पुँछू.. क्या पता किसीको ऐसा कुछ पुछनेेसे पहले ही मुझे किसीके वजूद का हिस्सा बनना पसंद आये. किसीको ऐसा बिना बतायेही उसके साथ रहना अच्छा लगने लगे...ऐसेमे तो मैं सीधी शादी के लिए ही प्रपोज करूँगी. और क्या है, जिसे जितना वक्त लगना है उसे उतना वक्त तो लगेगाही. बट एनीवे तुम जरूर याद रहोगे. हमारा पहला वक्त हमेशा याद रहता है. फिर चाहे वह निगेटीव्ह क्यों ना हो...''वह हँस पडी.
वो मुडकर लिफ्ट में चला गया. उसने देखा वह भी पलटकर  जा रही थी.  धीरे धीरे लिफ्ट का दरवाजा बंद हुवा. उसकी जाती हुई प्रतिमा दरवाजे के मिटतेही गायब हुई. लिफ्ट वही की वही खडी थी. उसने चौंक कर लिफ्ट के बटन्स की ओर देखा तोे कोई भी बटन प्रेस नहीं था. उसे पार्किंग जाना था और उसने सिक्स्थ नंबर पर प्रेस किया...

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