अरे यार कोई उनसे
जाकर कहे
खुदसे इतनी मोहब्बत ना करे
खुदपे इतना भी गुरुर ना करे
की हम कुछ लिखने के काबिल ना रहे…
जाकर कहे
खुदसे इतनी मोहब्बत ना करे
खुदपे इतना भी गुरुर ना करे
की हम कुछ लिखने के काबिल ना रहे…
जी, उनसे कह दो
हमारे हर नज्म के कहानियोंमे
खुद को ना तराशे
अपने अक्स का साया भी हमारी
वफा या इश्क मे ना तलाशे
हमारे हर नज्म के कहानियोंमे
खुद को ना तराशे
अपने अक्स का साया भी हमारी
वफा या इश्क मे ना तलाशे
हद है, हम बात खफा की करे
या बेवफाई की
तनहाई की करे, या बिती यादों की
हर नज्म पे हमे पुछते हैं के
इतनी बैचेन क्यो?
तुम्हे हमारी दस्तक सुनाई क्यों नहीं देती
देखो तो इन नज्मो को
घुम फिरकर वापस हमारे पास ही तो लोटती
या बेवफाई की
तनहाई की करे, या बिती यादों की
हर नज्म पे हमे पुछते हैं के
इतनी बैचेन क्यो?
तुम्हे हमारी दस्तक सुनाई क्यों नहीं देती
देखो तो इन नज्मो को
घुम फिरकर वापस हमारे पास ही तो लोटती
हाय,
मान क्यो नही लेते
हमने उनसे कभी दिल ना लगाया
कभी उनसे रत्तीभर मोहब्बत ना हुई
हमने तो हजार दफा सीधा इन्कार किया
नजाने उन्हे ईकरार की खुशबू कहा से आती
बात को टालने की हमारी हरकत क्यो लगती
मान क्यो नही लेते
हमने उनसे कभी दिल ना लगाया
कभी उनसे रत्तीभर मोहब्बत ना हुई
हमने तो हजार दफा सीधा इन्कार किया
नजाने उन्हे ईकरार की खुशबू कहा से आती
बात को टालने की हमारी हरकत क्यो लगती
कोई कहे उनसे
जब मौका था..दस्तुर था
एक भी पहल ना की, हमे समझने की
हमसे बात या रूबरू होने की
बल्की अंजुमन में रूसवा करते रहे
अब खुदके एहसास ए जूर्म को
हमपर वजह बेवजह थोप रहे
हमारी किस्सों का जबरन हिस्सा बन रहे
जब मौका था..दस्तुर था
एक भी पहल ना की, हमे समझने की
हमसे बात या रूबरू होने की
बल्की अंजुमन में रूसवा करते रहे
अब खुदके एहसास ए जूर्म को
हमपर वजह बेवजह थोप रहे
हमारी किस्सों का जबरन हिस्सा बन रहे
खैर छोडों
उनसे जाकर कोई प्लीऽऽज कहे
बक्श द.. नज्म, अफसाने , हमें
और खुदका फिजुल गुरूर भी
कहना तो नही चाहते थे,
पर हमारे जज्बातों पर उनका ये हक जताना…
नापाकी का एहसास देता हैं..
तो कह दो उनसे
हाँ मोहब्बत की है हमने बेशक, बेहद
बस उनसे नही..कभी नही..बिलकुल नही..
उनसे जाकर कोई प्लीऽऽज कहे
बक्श द.. नज्म, अफसाने , हमें
और खुदका फिजुल गुरूर भी
कहना तो नही चाहते थे,
पर हमारे जज्बातों पर उनका ये हक जताना…
नापाकी का एहसास देता हैं..
तो कह दो उनसे
हाँ मोहब्बत की है हमने बेशक, बेहद
बस उनसे नही..कभी नही..बिलकुल नही..
और अब आखरी बार कहते है
हमारे इस बात के हक मे
ना कोई वजाहत पेश होगी,
ना कोई दलीले सुनी जायेगी…
हमारे इस बात के हक मे
ना कोई वजाहत पेश होगी,
ना कोई दलीले सुनी जायेगी…
कोई जाकर कह दो उनसे...
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