जरुरी थोडी होता है
हर बार
बात को ढंग से काट कर ही खत्म करना
सही सही इजाजत लेकर विदा होना..
रह जाने दो ना कोई बात युँही अधूरी
बेखौफ..बेवजह
वजह जैसे पता नहीं होती,
अधुरी छुटी कहानी, कविता और रिश्तों की..
लेकीन गौर किया कभी तुमने
अधुरी होकर भी बे मायने नहीं होती..
बस वैसे ही छूट जाने दो ना कोई अल्फाज
होठोंपे दब कर , नैनो से बच कर
आधी रात की अकेली सिरहानो सेे गपशप लडाने..
हॉं पता हैं..
आज का कल होगा..कल फिर आज
रात को ठहरना.. दिन को जगमगाना
वक्त को दौड़ना... दिल को कभी तो रुकना
यँहा हर किसी को मुकम्मल हैं होना
पर मेरी दरख्वास्त हैं
रहने दो हमारे बीच की बात अधूरी
अधूरी मुलाकात, शमा, समॉं अधुरा
आपसी एहसासोंका फसॉंना भी अधूरा
और फिर इकठ्ठे मिलके देखेंगे
किस हद तक दिलकशी बढ़ेगी,
खीचांव सर चढ़ेगा
और और..
जरूरी नहीं होता
हर बार नज्म का
हमारे मुताबिक पूरा होना
कुछ होती ही है बेपरवाह, बेबाक
अंजाम खुद से लिखने बेक़रार..
तो याद रखो..आखरी बार कह रही हूँ
जरुरी नही होता
हर बार
बात को ढंग से काटकर ही खत्म करना..
कभी कुछ अफसाने नज्म के हवाले भी
छोड देने चाहिए!
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