तुम बात घुमा फिराके
कभी गुलदस्तॉं, कभी गुलाब की करते
कभी फुलोंके लेनदेन
कभी खूशबुसे बहकने की करते
और हम जवाब में जवाब ना देते
तो छुपछुपाके चोरीसे तुम
बेचैन होकर देखते
तो कभी दिल ए ख्वाईश
आँखों की मदहोशीसे कहते
फिरभी जवाब में जवाब ना पाते
तब तुम्हारे चेहरे की वह नटखटसी उलझन
हलकीसी शरम, परेशान से होठ
हाय! क्या कहे..
उस एक एक कसक की अदा
तेरी मुक्कमल मोहब्बतसे भी
जान उसपर है फिदा...
बस उसीको महसूस करने वास्ते
हम जवाब में जवाब न देते
तुम फिर घुमा फिराके बात करते
हम फिर घुमा फिराके उसी को टालते
कभी गुलदस्तॉं, कभी गुलाब की करते
कभी फुलोंके लेनदेन
कभी खूशबुसे बहकने की करते
और हम जवाब में जवाब ना देते
तो छुपछुपाके चोरीसे तुम
बेचैन होकर देखते
तो कभी दिल ए ख्वाईश
आँखों की मदहोशीसे कहते
फिरभी जवाब में जवाब ना पाते
तब तुम्हारे चेहरे की वह नटखटसी उलझन
हलकीसी शरम, परेशान से होठ
हाय! क्या कहे..
उस एक एक कसक की अदा
तेरी मुक्कमल मोहब्बतसे भी
जान उसपर है फिदा...
बस उसीको महसूस करने वास्ते
हम जवाब में जवाब न देते
तुम फिर घुमा फिराके बात करते
हम फिर घुमा फिराके उसी को टालते
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