आज कल जब मैं अपने दिलसे पुँछ लेती हूँ
क्या तुम्हे डर लगता है...
तो अंदरसे बस एक खामोशी सुनाई देती है
जी देहला देनेवाली खामोशी
और फिर कपकपाने लगता है मेरा पुरा वर्तमान
क्या तुम्हे डर लगता है...
तो अंदरसे बस एक खामोशी सुनाई देती है
जी देहला देनेवाली खामोशी
और फिर कपकपाने लगता है मेरा पुरा वर्तमान
क्या इसीको कहते डर, खौफ, घबराहट..
पता नही..
पता नही..
इस घडी, जो अनगिनत नफरतभरी निगाहे
हिंसाके लिए लपलपा रही है..
कईयों को असल में मारके
बाकीयों कोे युँही मरवा रही है..
तो मैं परेशान हूँ, फिक्रमंद हूँ, या डरी हुई हूँ
पता नही..
हिंसाके लिए लपलपा रही है..
कईयों को असल में मारके
बाकीयों कोे युँही मरवा रही है..
तो मैं परेशान हूँ, फिक्रमंद हूँ, या डरी हुई हूँ
पता नही..
पर एक अजीबसी उलझन है..
और समझ नही पा रही हूँ
हमारे आनेवाले नस्लों का भविष्य क्या होगा..
और समझ नही पा रही हूँ
हमारे आनेवाले नस्लों का भविष्य क्या होगा..
सच कहूँ ?
वर्तमान के ये सदमे
वैसेही बडे जहरीले और गहरीले है
और उपर से मैं मॉं जो हूँ
मुझे बिखरनेसे बडा खौफ आता है..
वर्तमान के ये सदमे
वैसेही बडे जहरीले और गहरीले है
और उपर से मैं मॉं जो हूँ
मुझे बिखरनेसे बडा खौफ आता है..
कोई दौलत, शौहरत, जायदाद
मैं ना दूँ मेरे बच्चे को
मुझे कोई गिला नहीं
बस एक बेखौफ जिंदगी
और प्यारवाला जहॉं
उसकी नन्ही मुठ्ठीयों में बॉंधे रखना चाहती हूँ
मैं ना दूँ मेरे बच्चे को
मुझे कोई गिला नहीं
बस एक बेखौफ जिंदगी
और प्यारवाला जहॉं
उसकी नन्ही मुठ्ठीयों में बॉंधे रखना चाहती हूँ
बस इतनीसी गुजारीश है, साथीयों
इस नेमत से नवाजो, हर मॉं को नवाजो
इस नेमत से नवाजो, हर मॉं को नवाजो
अगर मेरी गुजारीश, फिर भी ना समझें
तो अपनी मॉं के धडकनों की रफ्तार ही सुन लो..
तो अपनी मॉं के धडकनों की रफ्तार ही सुन लो..
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