शुक्रवार, ७ मे, २०१०

मेरे दोस्त.....खो गए हो क्या ???

मेरा दोस्त, बहुत अच्छा दोस्त पर फ़िलहाल काफी खफा खफासा है । जानती नहीं की उसे क्या हुवा पर मिस्सिंग अलोट । एक अच्छा दोस्त एकदम चुप हो जाता है तो समझ भी नहीं पाते की हुवा क्या??? वो कुछ कहता नहीं और हम किसीपे जबरदस्ती नहीं कर सकते । हमे याद है शुरुवात पे हम लोग ग्रुप मै ही एक दुसरेसे बात करते थे । पर हमारे भीच कोई खास फ्रेंडशिप नहीं थी । ग्रुप फ्रेंडशिप के बावजूद । अच्तुअल्ली हमारे ग्रुप में शामिल होनेसे पहेले ही में उसके बारेमे बहोत कुछ जानती थी । सच कहे तो हमने उसके ग्रुप को ज्वाइन किया था । वह सबसे अलग और मासुमसा है । उसपर पुरे ग्रुप को नाज है की इतना प्यारा दोस्त हमारे साथ है । हमरी अच्ही फ्रेंडशिप हवी वो भी सोर्ट ऑफ़ झगडेसे । अक्सर मुझे लगा है की झगड़े आपको एक दुसरे को समझने का ज्यादा स्कोप देती है । ऐसा ही हुवा एक बार मेरा पहलेसे ही मूड नहीं था उसी वक़्त उसने कुछ मजाक किया । और हम एकाएक हर्ट हुवे । सच तो उसमे कुछ खास नहीं था हर्ट होने जैसा तो कुछ भी नहीं पर हम नजाने क्यों ऐसा फील करने लगे । मूड जो ठीक नहीं था । पर उसके बाद इस दोस्त ने बहोत इरिटेट किया । मूड क्यों ख़राब है, फिर रिअक्ट क्यों हुई इ टी सी । फिर इरिटेट होने से मैंने उस अपनी राम कहानी सुनाई । जो अक्सर हर शादी के दहलीज पे जबरदस्ती खड़े की हुई लड़की की होती है... कुछ खास नहीं वही खिसिपिती रामकहानी । फिर जाके इन्हें चैन मिला । उस वक़्त मुझे उसकी समझ बुझ बहोत अच्ही लगी । अन्डुरस्तान्डिंग ऑफ़ वुमन, अन्दार्स्तान्डिंग ऑफ़ मी । उस बाद हमारे बिच काफी अच्छी दोस्ती हुई । फिर धीरे धीरे समझ, ख्यालात समझने लगे । हमारे बिच का टाइमस्पेन बड गया । सोहबत बढ़ी । अच्छा दोस्त पाने की मुझे तो बहुत ही ख़ुशी हुई । वो तो नो डाउट अच्छा ही था । शेरिंग बढ़ी , अछ्हे बुरे ख्याल को अदन प्रदान होने लगा । काफी कम टाइम में हम काफी बेस्ट फ्रेंड हुवे । नाईस इट इज ।
पर पता नहीं एकाएक ही उस क्या हुवा अचानक से उसने बाते कम की । मैंने पूछा भी की क्या हुवा मुझे कहने लगा नजरिया बदलो ऐसा कुछ नहीं । मुझे भी ऐसा लगा हो सकता है । पर सचमे बाते कमसी होने लगी । उसके नजरिये को समझ नहीं प् रहे थे । हमारी ऐसी आदत है की हम किसीपे कोई जबरदस्ती नहीं कर पाते । सकारात्मक रूप से भी । कोई जब कुछ नहीं बताना चाहता तो उस ज्यादा कुछ पुछनेकी आदत भी नहीं । डर सा लगता है । स्पस देना चाहिए ये समझ कर हम भी बात नहीं करने लगे। और आज ऐसा वक़्त आया है हम रोज मिलते तो है पर एक दुसरे को कमसे कम हेलो भी नहीं कहते . इतनी बुरी हालत है हमारी । उस क्या हुवा , किस बात को लेकर नाराज है, किसलिए ऐसा बिहाविअर समझ ही नहीं पाए । ऐसा क्यों होता है, हमारा अच्छा दोस्त हमसे बेवजह नाराज होता हैबहोत तकलीफ होती है इससे । कोई झगडा या कहा सुने भी तो हमारे बिच हुई नहीं। फिर भी ऐसे क्यों खफा । बहोत मिस करते है दोस्त तुम्हे । कोई गलती है तो बताओ नहीं है तो फिर जो कुछ भी तुम शेअर करना चाहते है हम स्टील वेटिंग फॉर यू डिअर । लोट आओ । खोये हो अगर तुम । या कही यूँही परेशां कर रहे हो तो स्टॉप थिस प्लीज ।

1 टिप्पणी:

  1. hi, tumara wo aaisa q karata hai ! jara usase bate karo or pata karo usko jara leke chai pilao wo jarur batayega mai khuda se prarathana karung ki wo dost jaldi tumse pahale jaise bate kare...aamin.......shree

    उत्तर द्याहटवा

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