शुक्रवार, १७ मार्च, २०१७

मीत-प्रीत

मन के मीत
भूलाके रीत
छुडा के प्रीत
दूर देस चले जाओगे
तो याद रखना
याद नही आओगे, कभी नही आओगे
के खुदही हम मुँह फेर लेंगे..

सच कहते है,
ना आह भरेंगे
ना राह तकेंगे
ना कोई ख्याल देंगे
तरानों के अल्फाजोंमेही
आपको ऐसा कैद करेंगे
के पास रखके भी तनहा छोडेंगे
रूठ लेंगे
मना लेंगे
और भी कुछ कर लेंगे
पर जिक्र तेरा जहनमें इतनासा भी ना करेंगे
के खफा की हिचकी भी ना भेजेंगे

सून ले मन के मीत
तू मुस्कराता
खूशीसे झुमता
बस जायेगा नयी दुनिया
ये खबर आयेगी जिस दिन
एक बूँदभी आँसू का ना गिरायेंगे
और भागे दौडे जायेंगे, 
छतके उसी खुफियासी जगह, जहॉं
तुमने अपने नाखूनोंसे कुरेदकर
लिखा था,"मीत-प्रीत'"तुम-हम'
उसे अपने नाखूनोंसे कुरेदकर
हम ऐसे मिटा देंेगे, 
के आप लौटनेपर भी, लौट नही पाओगे.

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